जो नेता है वो लेता है।
जो नेता है वो लेता है।
जो नेता है वो लेता है, खुदका पेट भरता है।
जनता जो चाहती है वो कभी नही करता है।।
आते है चुनाव तो मांगने आते है वोट।
और हाथों में सबके थमा जाते है नोट।
जब ये नेता एक बार जीतकर जाते हैं ।
फिर कभी वोटर की गली में नही आते हैं ।
इन्हें क्या पता हमारी मजबूरियों का हाल।
सुखी रोटी खाते है और पानी वाली दाल।
बड़े बड़े वादों से ये चुनाव जीत जाते हैं ।
कुर्सी पर बैठे बैठे सबको उल्लू बनाते हैं ।
हमारी तककीफ से इनको फर्क नही पड़ता है।
हमारे हक का पैसा ही इनके घर में सड़ता है।
चुनाव के वक्त ही इनको सब याद आता है।
चुनाव के बाद सब कहां चला जाता है।
उम्मीद है तुमसे और सतायेंगे भी तुम्हे।
या फिर अगली बार आना बताएंगे तुम्हे।