STORYMIRROR

Amit Pande

Romance

4  

Amit Pande

Romance

जो बीज हमने बोए

जो बीज हमने बोए

1 min
678

अरे !

बहुत सालो बाद मिली हो, घर आयी हो शायद ?


यूँ ही चली गई थी एक दिन, मैंने मनाया तो था,

झिंझोड भी दिया था तुम्हें पकड़ कर,


लाल कुसुम जो हाथ मे थे तुम्हारे, गिर गए थे भरभराकर।


सुनो, वहीं उस जगह हम मिलते थे

जहां मधुमालती के फूल खिलें हैं इस वर्ष वहाँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance