ज्ञान और संस्कार, सजाये सदा
ज्ञान और संस्कार, सजाये सदा
प्रतीक्षा न करती तीन चीजें
समय, मृत्यु कोई ग्राहक बन आ जाएगा
समझ सके न उस प्रभु की माया
धोखा सदा खा जाएगा।।
जर, जोरू और जमीन-जायदाद से
सबका शत्रु बन जाएगा
अपने भी तेरे पराए हो जायेंगे
कोई बिरला ही साथ निभाएगा।।
सच्चाई, कर्तव्य, मौत झुठलाई न जाती
अंत में यही सब पाएगा
धोखा किसी को क्या देगा कोई
एक दिन वही सब पाएगा।।
जीवन में मिलती एक बार ही
मात-पिता न दोबारा जवानी पाएगा
जो करना है अभी ही कर ले
नहीं तो बाद में सदा पछताएगा।।
ज्ञान, चरित्र कोई हुनर चुरा न सकता
विकास जहां में कर जाएगा
प्राप्त करेगा सभी भौतिक वस्तुएँ
जग-जीवन में इनसे नाम कमाएगा।।
तीरकमान से निकला बाण
क्या, वापस कभी ला पाएगा
जबान से निकली किसी कटु बात पर
प्राण निकलने तक रोएगा।।
पर्दे में रखना धन, स्त्री, भोजन
नहीं तो, लोगो की नजर में चढ़ जाएगा
निगाह गलत हो जाती अपनों की भी
जो उनको सब बतलाएगा।।
मात-पिता, गुरु का आदर-सम्मान सदा ही
उनका आशीर्वाद सदा काम आएगा
जैसा व्यवहार तू उनसे करेगा
फिर वही जीवन में पाएगा।।