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Sudhir Srivastava

Inspirational

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Sudhir Srivastava

Inspirational

जननी

जननी

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जन्मदायिनी जननी

जीवन को दांव पर लगाती

फिर भी मुस्काती,

हमारी एक झलक जैसे पाती

सारा दर्द भूल जाती।

औलाद के लिए दीवार, सुरक्षा चक्र होती

औलाद की खुशियों की खातिर

सब कुछ हंसते हंसते सह जाती।

जननी का शब्द चित्र हम खींच नहीं सकते

लाख कोशिश करें पर एक अंश भी

परिभाषित नहीं कर सकते।

कोशिशें कम नहीं हुईं अब तक

पर जननी पर कितना लिखा गया अब तक

जितना भी लिखा जाता है

वो भी बहुत कम ही रह जाता है।

जननी को शब्दों में नहीं उतारा जा सकता

लाख कोशिश कर लें हम सब

जननी पर लिखना ही जैसे

सूरज को दिया दिखाने जैसा होता है।

हमारी आपकी भला बिसात क्या है

जब ईश्वर भी जननी की गोद में

बैठा सिर्फ मुस्कुरा रहा है,

जननी पर कहने का प्रयास वो भी करता है

पर जननी के आभामंडल में कहीं छिप जाता है,

बस जननी की गोद में ही अनुभूतियों से

जननी की व्याख्या का अनुभव कर पाता है

जननी सिर्फ जननी नहीं समूचा ब्रह्मांड है

जननी ही धरा का संपूर्ण ज्ञान है।

पर मेरे विचार में 

जननी की व्याख्या सबसे सरल है,

जननी धरा पर सबसे महान है

क्योंकि भगवान भी तो 

आखिर किसी जननी की ही संतान है,

इसीलिए जननी सबसे महान है।



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