जन्म लेती हैं ये बेटियाँ
जन्म लेती हैं ये बेटियाँ
तोड़ कर हर बाधाओं को
जो धरती पर रखती नन्हें कदम
वो कहलाती हैं बेटियाँ।
जन्म पर उसके नहीं बंटती मिठाइयां
फिर भी जो करती सदा नाम रोशन
वो कहलाती हैं बेटियाँ।
निर्वंश समझे जाने वाले कुल की भी
झाँसी की रानी बन लाज जो बचाती है
वो कहलाती हैं बेटियाँ।
स्वयं बचपन से सहती आई अन्याय
पर जीवन भर जो करती हो सबके हित में न्याय
वो कहलाती हैं बेटियाँ।
तोड़ कर रख देते बेटियों के सपनों को
ऐसे समाज को कुछ कर दिखाने की सीख देती जो
वो कहलाती हैं बेटियाँ।
जो स्वंय टूट कर सदा
रखती हो दो- दो कुल की मर्यादा
वो कहलाती हैं बेटियाँ।
अन्नपूर्णा, लक्ष्मी, सरस्वती बन
घर को ही स्वर्ग बनाती आई हैं जो सदा
वो क
हलाती हैं बेटियाँ।
हाथ में बेलन लिए भी रखती हो सपने
आसमान में भरने की उड़ान
वो कहलाती हैं बेटियाँ।
पुरुषों संग कदम से कदम मिला कर
उन्हें आगे बढ़ने की दिशा जो देती है
वो कहलाती हैं बेटियाँ।
जौहर नुमा मृत्यु को गले लगा चुनती हो
पद्मावती सी स्त्रीत्व की लाज जो
वो कहलाती हैं बेटियाँ।
माँ- पिता की अर्थी को भी जो
कांधा देने में होती सामर्थ्य पहन चूड़ियां
वो कहलाती हैं बेटियाँ।
स्वयं मरणावस्था में जा
जो देती हो संतान को एक नया जन्म
वो कहलाती हैं बेटियाँ।
असंभव को बदल संभव में
जो करती हो कल्पना को यथार्थ
वो कहलाती हैं बेटियाँ।
तुम मानो या न मानो
बड़े भाग्यवान हैं वो लोग जहाँ
जन्म लेती हैं ये बेटियाँ।