"जनकपुर दर्शन"
"जनकपुर दर्शन"
आए आए हैं , अवध किशोर,
जनकपुर देखन खों।
राम-लखन की सुन्दर जोरी,
शारद उपमा सकल ढढोरी।
हैं सब के चितचोर,
जनकपुर देखन खों।
आए ------
जुवती भवन झरोखन लागी,
देखहि राम रूप अनुरागी।
नगर में मच गयों शोर,
जनकपुर देखन खों।
आए ------
गलियन-गलियन फूल बिछे हैं,
मंदिर से सब द्वार सजे हैं।
सखियां है भाव विभोर,
जनकपुर देखन खों।
आए ------
पुर नर नारी सुभग सुचि संता,
धर्मशील ज्ञानी गुनवंता।
पायें आज चितचोर,
जनकपुर देखन खों।
आए ------
