ज़माने वाले
ज़माने वाले
जाने किस ज़ोम में रहते हैं ज़माने वाले
नई बस्ती में हैं सब लोग पुराने वाले
अब मुख़ालिफ है हवा चुप है तमाशाई भी
दाओं पेंचों की पतंगो को उड़ाने वाले
मिल्कियत बनती है जिनसे ये वतन बनता है
सख़्त मुश्किल में हैं वो रोज़ कमाने वाले
कोई तरग़ीब निकालो के बड़ी मुश्किल है
है कहां जोड़ने वाले वो घटाने वाले
याद मुझको तो नहीं है तिरा चेहरा ज़ालिम
याद आते हैं मुझे दिन वो सुहाने वाले
शाह फिरऔन है कारून है हामान भी है
सारे क़िरदार वही हैं ये फसा ने वाले।
