नात
नात
1 min
218
जिस जगह पर हदे फ़िरदौस का जी़ना होगा
मुझको लगता है वहीं नक्शे मदीना होगा
नामे महमूदे नबी की है सिफ़ारिश मक़बूल
ऐसा एज़ाज़ किसी का भी कहीं ना होगा
उनकी यादों में निकलते हैं हमारे आंसू
एसी की़मत का कोई क्या ही नगीना होगा
सारे यारों की जमी होगी अनोखी महफ़िल
हौज़े क़ौसर पे जमा उनका सफ़ीना होगा
उनको देखेंगे तरह के हैं अकेले हाशिम
ज़िक्रे लब पुर नशीं महफ़ूज़ ये सीना होगा
शाह जाऐंगे वही लोग जो क़ाबिल होंगे
हस्बे जन्नत की तरह जिनका करीना होगा।
