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विजय कुमार प्रजापत

Inspirational

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विजय कुमार प्रजापत

Inspirational

जल

जल

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जल निर्मल है जल शीतल है

जल से चलता संसार है।

जल जीवन है जल पावन है

जल चेतन का आधार है।


जल नभ में है

जल कण में है।

कहीं बिन पैसे

कहीं ऋण में है।


कहीं नल में है

कहीं नालो में।

कहीं धरती में

कहीं प्यालो में।


कुछ के लिए वरदान है ये

कुछ के लिए व्यापर है।

जल निर्मल है जल शीतल है

जल से चलता संसार है।


जल जीवन है जल पावन है

जल चेतन का आधार है।

कहीं तरसाता है 

सबको ये।


कहीं मेघों की 

हलचल में है।

जल जग में है

रग रग में है।


जल गंगा की

कल-कल में है।

बच्चों के लिए खिलौना है

नित ही चलती इक धार है। 


जल निर्मल है जल शीतल है

जल से चलता संसार है।

जल जीवन है जल पावन है

जल चेतन का आधार है।


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