जख्म
जख्म
कुछ जख्म है जो भरते नहीं,
अपनी यादों को भूलते नहीं,
ख़ुशी की एक लहर आती है,
आँधी से हम सँभलते नहीं।
कितना समझाओ दिल को,
भावनाओं में बहता ही जाए,
कोई कह दे जी लो तरीके से,
मगर हम है की सुधरते नहीं।
अब जख्म अपनी जगह है,
और जिन्दगी चल रही है,
वादा तो हम करते नहीं,
पर जख्मों से डरते नहीं।
