जिसको हँसना आता है
जिसको हँसना आता है
दुःख -सुख का साथ
कितना अटूट है
सुख आता है तो
दुःख पीछे -पीछे चला आता है
दूसरों के आँसू पोंछते-पोंछते
खुद को रोना आ जाता है
काँटे का गुलाब से कैसा नाता है
एक मन को भाता है
एक तन को चुभ जाता है
सबका प्यार वही पाता है
गमों में जिसको हँसना आता है
सपने टूटने का गम किसे नहीं होता
लेकिन मंजिल वही पाता है
जो अतीत को भूलकर वर्तमान में जीता है
खुशियाँ मिले या आँसू
खुद भी हँसता है दूसरों को भी हँसाता है
जीत उसी को होती है
जिसे स्वयं पर हँसना आता है
धूप -छाँव का ये अजीब नाता है
चमकती है बिजली
पानी बादल बरसाता है
दर्द होता है किसी को
रोना किसी को आता है
प्यार का एहसास ऐसा ही होता है
हँसाता है वही जिसे हँसना आता है।।
