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Ajay Singla

Abstract

5.0  

Ajay Singla

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जिंदगी

जिंदगी

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जिंदगी की दौड़ है ये

पल पल में नया मोड़ है ये

हर तरफ है शोर भारी

लड़ रहे सब नर और नारी।


दुश्मनी और द्वेष तगड़ा

बहन भाई में भी झगड़ा

पल के लिए भी रुक न पाया

वक़्त की ये सब है माया।


सोचते ही रहते हो तुम

करते नहीं, सिर्फ कहते हो तुम

काम आज का छोड़े कल पे

इतराये अपने ही बल पे।


चाहे जीवन मस्त मलंग तू

चिंता चाहे न अपने संग तू

हार सिंगार से तू जो चमके

मन की सुंदरता न दमके।


सत्य छोड़ तू झूठ को पकडे

पाप करे तू फिर भी अकड़े

पैसे के पीछे तू भागे

ठोकर खाकर भी न जागे।


उठकर फिर तूने दौड़ लगाई

मंजिल छूटी पीछे भाई

जिंदगी के ये झमेले

झेलने को हम अकेले।


जिंदगी के रिश्ते नाते

क्यों हम भुला न पाते

दुःख और सुख है आना जाना

मुश्किल दुःख से पार पाना।


जिंदगी की ये सच्चाई

जल्दी से समझ लो भाई

तेरे सुने इस जहाँ से

इस जमीं से आसमां से

पार हमको पाना होगा

शरण तेरी आना होगा। 


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