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Akanksha Rao

Inspirational

5.0  

Akanksha Rao

Inspirational

जिंदगी

जिंदगी

1 min
279


जिंदगी की राह जिस पर चलना है मुझे

ढूंढ रही वो बाट जिस पर बढ़ना है मुझे।

सुनहरे स्वप्न सी मंजिल का इंतज़ार है मुझे

दीप ये हिम्मत के मेरे न अब कभी बुझे।


रास्ते का कुछ अभी अधूरा सा ही ज्ञान है

मंजिल की वो राह अँधेरी सड़क के समान है।

सामने कब कहाँ कौन नई बला खड़ी

ख़ौफ़ है इस बात का हर पल हर घड़ी।


जो कर्मठ है हिम्मती वो पार होगा अंधकार के

अँधेरी सड़क का भी अंत है रोशनी के द्वार पे।

जो डर गया बिखर गया वो रह गया इस पार ही

जो मुश्किलें न सहे वो क्या निखर पाया है कभी।


उस डर रूपी अंधकार का सामना अभी बाकी है

अभी तो सामने खड़ी सिर्फ उसकी झाँकी है।

भविष्य को सुंदरता का वो रूप अभी देना है

जो सोचा है ख्वाबों में उससे बढ़कर सँजोना है।


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