वाटाड्या The stranger...
Abstract
क्या बेचकर हम खरीदें
फूर्सत ऐ जिंदगी...
सब कुछ तो गिरवी पड़ा है
जिम्मेदारी के बाजार में ...
दिल की आवाज
लहजा...
जिंदगी...
जिंदगी
जजबात
क्या तुमने सुना कभी बुद्धत्व को कविता में ? जो कविता में हो बुद्धत्व, तब मैं कविता क्यों लिखूं... क्या तुमने सुना कभी बुद्धत्व को कविता में ? जो कविता में हो बुद्धत्व, तब म...
अब वे पहचान में भी नहीं आते न ही इच्छा होती है हमारी उन्हें पहचानने की खुद ही वो छूट गए है... अब वे पहचान में भी नहीं आते न ही इच्छा होती है हमारी उन्हें पहचानने की ...
तेरी एक झलक पा मेघा स्मित स्निग्ध हर्षित होगी प्रकृति तेरी एक झलक पा मेघा स्मित स्निग्ध हर्षित होगी प्रकृति
मन का अपना धर्म और अपना ही ईमान होता है उसको साधने वाला सिर्फ एक भगवान होता है। मन का अपना धर्म और अपना ही ईमान होता है उसको साधने वाला सिर्फ एक भगवा...
एक कृष्ण की क्या क़िस्मत थी, लोगों के बीच अकेला था, एक मीरा मतवाली थी, कण-कण में कृष्ण को पाती थी... एक कृष्ण की क्या क़िस्मत थी, लोगों के बीच अकेला था, एक मीरा मतवाली थी, कण-कण ...
कथनी, करनी एक हो, तो बन जाये बात भाव सदा मंगल रहे, मंगल हो दिन-रात। कथनी, करनी एक हो, तो बन जाये बात भाव सदा मंगल रहे, मंगल हो दिन-रात।
फिर अंत समय आ जाता है हर रिश्ता यहीं छूट जाता है, प्रीत की रीत मिट जाती है, हर परंपरा मिट ज... फिर अंत समय आ जाता है हर रिश्ता यहीं छूट जाता है, प्रीत की रीत मिट जाती है...
जब ज़िन्दगी से घबराकर, तेरे कंधे पे रोती हूँ मेरे हर बड़े किस्से को, अपने उस एक किस्से का ... जब ज़िन्दगी से घबराकर, तेरे कंधे पे रोती हूँ मेरे हर बड़े किस्से को, अपन...
कभी खुद से नाराज़ इतना, कभी खुद से ही से दिल लगा लेना, कभी इन्तज़ार में खुशियों की जिंदगी... कभी खुद से नाराज़ इतना, कभी खुद से ही से दिल लगा लेना, कभी इन्तज़ार में ख...
चलो वहां जहां मनुष्य रहते हों जहां रहकर शायद हम भी मनुष्य बन जाएं। चलो वहां जहां मनुष्य रहते हों जहां रहकर शायद हम भी मनुष्य बन जाएं।
हर जगह मैं जाऊँगा हर सामान ले आऊँगा। फटा तो पौचा बन जाऊँगा सबके काम मैं आऊँगा। हर जगह मैं जाऊँगा हर सामान ले आऊँगा। फटा तो पौचा बन जाऊँगा सबके काम म...
चढ़ाती हूं मद्धिम सोच की आंच पर द्वंद की चाय उबालती हूं कड़वे अहसास की पत्तियां! फिर घू... चढ़ाती हूं मद्धिम सोच की आंच पर द्वंद की चाय उबालती हूं कड़वे अहसास की ...
दूध से सफ़ेद ज़ोरों कोलाहल में कहीं जो मिले थे दो किनारे, उन्हें बिछड़ना तो था ही गुनगुने से ... दूध से सफ़ेद ज़ोरों कोलाहल में कहीं जो मिले थे दो किनारे, उन्हें बिछड़ना तो ...
तुझे देख उठते हिल खिलते पेड पौध नव राग में लिपटे बूँद बूँद छूती तुझसे जो झुण्ड के झुण्ड उन्... तुझे देख उठते हिल खिलते पेड पौध नव राग में लिपटे बूँद बूँद छूती तुझसे जो ...
कुछ कबाड़ मैंने फिर रख लिया, संभाल के मैंने पागलों की भांति, दौड़ के, फिर चुन लिया, थो... कुछ कबाड़ मैंने फिर रख लिया, संभाल के मैंने पागलों की भांति, दौड़ के, ...
एक आखिरी अलविदा कुछ ऐसे लिया मैंने अपने अतीत से। एक आखिरी अलविदा कुछ ऐसे लिया मैंने अपने अतीत से।
प्रभात फेरी को जाता बुजुर्ग, जो नई पीढ़ी को देखने के लिए वक़्त समेट रहा है, उन्माद ही तो है... प्रभात फेरी को जाता बुजुर्ग, जो नई पीढ़ी को देखने के लिए वक़्त समेट रहा है...
बढ़ी नदी उमंग से, बहे प्रपात धार में मनाएँ पर्व आ सखी, अनंत के विहार में। बढ़ी नदी उमंग से, बहे प्रपात धार में मनाएँ पर्व आ सखी, अनंत के विहार में।
बनने लगा रंगों का इन्द्रधनुष आच्छादित मंडप अवनि पर , नव पल्लवों पर जमें हिम कण तोरण बनी लता... बनने लगा रंगों का इन्द्रधनुष आच्छादित मंडप अवनि पर , नव पल्लवों पर जमें हि...
ये पढ़ क्यों नहीं पाई कभी-कभी इसकी कहानी सुनाती है। ये पढ़ क्यों नहीं पाई कभी-कभी इसकी कहानी सुनाती है।