॥जिंदगी ॥
॥जिंदगी ॥
ऐसा लग रहा था जैसे रूक सी गयी है आज जिंदगी
थमसा गया है वक्त सारा
सन्नाटा ही सन्नाटा छा गया था
जैसे सबकुछ खत्म हो गया है...
उतने मे कहीं दूर से एक आवाज आयी धीरे से कोई बोला....
ऐ दोस्त, घबराओ नही...कल फिर सूरज आयेगा अपनी सुनहरी किरणें लेकर
फिर से खिलेंगे फूल डाली पर
फिर पंछी गायेंगे बसंत के गीत
झरनें भी खिलखिलाते फिर बहेंगे
फिर ऋतु बदलेंगे और ये पतझड जायेगी ,
नये फूल पत्ते फिरसे खिलेंगे
और फिर से जिंदगी चलने लगेगी
पहले जैसी ...
पहले जैसी ......
