जिंदगी सुख-दुःख का संगम है
जिंदगी सुख-दुःख का संगम है
हम जो तेरी याद में जीते मरते हैं
अपनी परछाईं से बातें करते हैं
खुदा जाने क्यूँ वो इतना तड़पाते हैं
हम जो तेरी याद में जीते मरते हैं
अपनी परछाईं से बातें करते हैं।
वो पल् जो तेरे संग हम बिताये
वो रातें जिसमें हम तुम में खोये
आज भी वो अपनी यादों के
आइनों में झुलसता है
मेरे जीने का सहारा वो बनता है।
याद है हमें तेरी वो बातें
जीवन भर साथ निभाने की
करी थी तू वादें
पता नहीं क्यूँ जब तूने
आधे रास्ते में हाथ छोड़ दिया
मेरी धड़कन थम सी गई,
सांस रुक सी गयाी।
भीड़-भाड़ वाली इस
दुनिया में कोई किसी का नहीं
अपनी परछाईं के सिवा कोई अपना नहीं
परछाईं भी कभी कभी हमें धोखा देती हैं
अन्धेरे के वक्त वो कहाँ खो जाती हैं।
अब महसूस होने लगा है कि
ये जिंदगी ओर् कुछ भी नहीं
एक सुख-दुःख का संगम ही है
जो कभी हँसाती है तो कभी रुलाती है।
जिंदगी की ये सच्चाई को समझकर
हमें भी आगे बढ़ना है।
