"जिंदगी जी,मर-मर कर नही"
"जिंदगी जी,मर-मर कर नही"
जिंदगी जी तू,पर मर-मर कर नही
तू एक कोहिनूर है,कोई पत्थर नही
तू मर भी जाये,पर लड़ते-लड़ते हुए
तू एक योद्धा है,कोई भीरू नर नही
यहां के लोगों से तुझे क्या लेना है,
तू पुरुष है,कोई पायजामा पर नही
तुझे यहां कोई भी आकर बजा जाये,
तू मंदिर में रखा कोई घन्टाघर नही
तू सुनामी है,एक बड़े समंदर की,
कोई छोटे तालाब की लहर नही
जिंदगी जी तू,पर मर-मर कर नही
तू एक कोहिनूर है,कोई पत्थर नही
दुनिया के लोगो से जरा भी न डर
खुद में बसा तू अपना एक शहर
खुद हो सही,हर किसी नजर नही
तू है दीपक,कोई अंधेरा घर नही
खुद का मालिक खुद बन साखी,
तू इंसान है,कोई मदारी बंदर नही
जिंदगी जी तू,पर मर-मर कर नही
तू एक कोहिनूर है,कोई पत्थर नही
माना कमी न गीदड़ों की शहर में
पर तू एक शेर है,कोई मच्छर नही
तू सँघर्ष कर,किसी से भी न डर,
तू दीप्ति है,कोई अंधेरा मंजर नही
दुनिया रेस में दौड़,सारे रिकॉर्ड तोड़
तू एक घोड़ा है,कोई खच्चर नही
जिंदगी जी तू,पर मर-मर कर नही
तू एक कोहिनूर है,कोई पत्थर नही.