जिंदगी.......... एक सवाल
जिंदगी.......... एक सवाल


जिंदगी की दौड़ मे लगातार चलते जा रहे हैं लोग,
बिना रूके , बिना थके निरंतर भागे जा रहे हैं लोग।
दो पल चैन की साँँस लेना भी भूूूल गए हैंं हम,
बस बिना सोचे , बिना समझे जिए जा रहे हैंं हम।
क्या यही जिंदगी है .....?
अगर ये सुकूूून है तो तड़पना क्या है.......
दुनिया की भीड़ मैं खोये जा रहे हैं हम,
अगर यहीं एकांत है तो चिल्लाना क्या है......
फ़ोन की मदद से सबसे जुड़ते जा रहे हैंं हम,
अगर ये नज़दीक है तो दूर होना क्या है........
जिंदगी जी रहे हैं पर मज़ा कहाँ हैं,
परेशानियों का ज़हर पी रहे हैैं पर सज़ा क्या है।
अगर यही जीन हैं यारों तो मरना क्या है.......
यही जीना है तो मरना क्या है।