जिंदगी भी क्या कमाल थी
जिंदगी भी क्या कमाल थी
बचपन की वे प्यारी हमारी
जिदंगी भी क्या कमाल थी।
न दुनिया की परवाह थी।
न संबंध मे खटाश थी।
न किसी से संघर्ष था।
न किसी से शिकायत थी।
जिंदगी भी क्या.....
न घर की जवाबदारी थी।
न कमाई की परेशानी थी।
न मिलकत की लालच थी।
न आपसी मन दुःख था।
जिंदगी भी क्या.......
माता की प्यारी गोद थी।
पिता से नितनयी जिद थी।
बहन से मस्तीभरी मीठाश थी।
भाई से प्यारी तकरार थी।
जिंदगी भी क्या....
