SHA AZAM SIDDIQUI
Inspirational Others
जिंदगी अधूरी है जब से
घर छोड़ आये है
यहां जी नहीं लगता
मगर अपने जी से
घर कहाँ चलता है
बस अपने अपनों के लिए आये है
खुद के सपनों के लिए नहीं
अपने अपनों के सपनों को पूरा करने आये है
जिंदगी अधूरी ...
निगाहों से
इश्क़ था या था...
कैसी है ये ज़ि...
ज़ख्मे दिल
आज के इस मोड़ ...
बात हो दिल लग...
हवा के चलने के कारण वृक्ष भी झूमने लगता पूरी प्रकृति नृत्य करती सी प्रतीत होने लगती। हवा के चलने के कारण वृक्ष भी झूमने लगता पूरी प्रकृति नृत्य करती सी प्रतीत होन...
अमृत महोत्सव के अंतिम चरण में हम, हर घर और घर -घर तिरंगा फहराएंगे। अमृत महोत्सव के अंतिम चरण में हम, हर घर और घर -घर तिरंगा फहराएंगे।
सच पूछो तो मां पृथ्वी से भी भारी है। जो रुलाएगा मां को फिर उसकी बारी है!! सच पूछो तो मां पृथ्वी से भी भारी है। जो रुलाएगा मां को फिर उसकी बारी है!!
आज़ादी के अमृत उत्सव को तिरंगे के नाम कर जाएं, मिल कर आओ! घर-घर तिरंगा फहराएं। आज़ादी के अमृत उत्सव को तिरंगे के नाम कर जाएं, मिल कर आओ! घर-घर तिरंगा फहराए...
अमृत महोत्सव मना रहे सब, गुलामी से आजादी का। अमृत महोत्सव मना रहे सब, गुलामी से आजादी का।
पर सम्मान को चोट पहुंचे तो भला कुछ ना कहूं अपने आसुओं से बहुत कुछ कह जाती हूँ मैं गृह पर सम्मान को चोट पहुंचे तो भला कुछ ना कहूं अपने आसुओं से बहुत कुछ कह जाती हूँ मै...
सवाल यही है कि किस घर को अपना समझूँ? या फिर मैं भी खुद को पराया समझूँ? सवाल यही है कि किस घर को अपना समझूँ? या फिर मैं भी खुद को पराया समझूँ?
जीवन तो चलता ही रहा आगे को बढ़ता ही रहा। जीवन तो चलता ही रहा आगे को बढ़ता ही रहा।
काश! आज भी वानप्रस्थ आश्रम का चलन होता। तो उम्र के इस मोड़ पर भी मन मगन हो होता। काश! आज भी वानप्रस्थ आश्रम का चलन होता। तो उम्र के इस मोड़ पर भी मन मगन हो हो...
तिरंगे के सदके,अपनी जान वार दूं तिरंगे के सदके,हर मुस्कान वार दूं। तिरंगे के सदके,अपनी जान वार दूं तिरंगे के सदके,हर मुस्कान वार दूं।
उसकी नजरों में अब तो मैं अपनी कीमत जानने पहचानने लगा। उसकी नजरों में अब तो मैं अपनी कीमत जानने पहचानने लगा।
असंख्य बलिदान देकर के, हमने ये दिन पाया है. असंख्य बलिदान देकर के, हमने ये दिन पाया है.
मुझे उम्मीद है कि आने वाली पीढ़ियों के पास अभी भी इन चीजों के लिए आभारी होना होगा। मुझे उम्मीद है कि आने वाली पीढ़ियों के पास अभी भी इन चीजों के लिए आभारी होना होग...
अर्धांगिनी हो मेरी पता है मुझे कभी ये भी तो बताओ तुम स्त्री कब बनना चाहती हो अर्धांगिनी हो मेरी पता है मुझे कभी ये भी तो बताओ तुम स्त्री कब बनना चाहती हो
लिखूंगा तुझ से एक नया इतिहास तुझे ही आजाद मैं करूंगा लिखूंगा तुझ से एक नया इतिहास तुझे ही आजाद मैं करूंगा
भारत का गौरव लिखूं मैं वीर शौर्य गाथा लिखूं भारत का गौरव लिखूं मैं वीर शौर्य गाथा लिखूं
तुम संग मेरी जिंदगी का हर सफ़र खूबसूरत हो जाता, तुम संग मेरी जिंदगी का हर सफ़र खूबसूरत हो जाता,
कहा मैंने - खामोशियाँ ही शब्द हैं और शब्द ही खामोशियाँ ! कहा मैंने - खामोशियाँ ही शब्द हैं और शब्द ही खामोशियाँ !
बहुत तिरंगे देखे मैंने अब किस किस की बात करूं सब्जी मंडी का एक तिरंगा उसकी क्या तारी बहुत तिरंगे देखे मैंने अब किस किस की बात करूं सब्जी मंडी का एक तिरंगा उ...
देखो ना कितनी मेहनत करती हैं ये नारिया धर्म की रक्षा के लिए बढ़ती जा रही जवानियां। देखो ना कितनी मेहनत करती हैं ये नारिया धर्म की रक्षा के लिए बढ़ती जा रही जवान...