SHA AZAM SIDDIQUI
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यह निगाहों से
हर बार वो सितम कर जाते थे
हम थे यहाँ
बस आहें भरते जाते थे
कहना था बहुत कुछ
लेकिन लफ्ज़ मन में ही ठहर जाते थे
जिंदगी अधूरी ...
निगाहों से
इश्क़ था या था...
कैसी है ये ज़ि...
ज़ख्मे दिल
आज के इस मोड़ ...
बात हो दिल लग...