जीवन
जीवन
क्या क्षणभंगुर इस जीवन में
सब पा लेना ही होना है
कैसे पा जाओगे सब कुछ
कुछ तो निश्चित खोना है
छू लेना तुम नभ को एक दिन
पर पाँव धरा पर होना है
जो तोड़ भी लाओ सारे तारे
बस अहं कहीं ना होना है
पर पाँव उठे जो अहं भाव से
फिर पतन तुम्हारा होना है
ना उठ पाओगे गिरे जो ऐसे
फिर अंत तुम्हारा होना है
