प्रण लीजिये
प्रण लीजिये


बड़ी ख़ुशी से यौम-ए-आज़ादी मना आते हो
सच्ची या झूठी जो भी ख़ुशी दिखा आते हो
गर मुहब्बत मुल्क से है तो बस इतना कीजिये
दूसरे को दोष न देकर ख़ुद को सही कीजिये
बिजली के बिल के साथ सारे टैक्स दीजिये
सफ़र करना हो तो सभी का टिकट लीजिये
जिम्मेदारियों को अपनी ना नज़रअंदाज़ कीजिये
सार्वजनिक संपत्ति को भी अपना समझ लीजिये
इसे पढ़कर ना कहना जाइये अपना काम कीजिये
आज से आप भी देश की उन्नति का प्रण लीजिये!