पैसा
पैसा
जब पैसे पास ना हो, तो क्या हालात होते हैं
ज़ायद ग़ैरों से अपनों के तल्ख़ अंदाज़ होते हैं
किसी से मिल के वापिस जब घर को आते हैं
तो सर से पाँव तलक मशवरों के दाग़ होते हैं
भरी महफ़िल में रिश्ते भी नज़रअंदाज़ होते हैं
और नज़र के सामने सबके रवैये साफ़ होते हैं
जो सहारा दे बिना मतलब कुछ ऐसे हाथ होते हैं
रुस्वाई के इस आलम में वो अपने ख़ास होते हैं
