जीवन का न कोई ठिकाना
जीवन का न कोई ठिकाना
जीवन का न कोई ठिकाना
न जाने हमें कहां है जाना।
संग सांसों का अनमोल खजाना
लुट जाए कब यह कोई न जाना
जीवन का न कोई ठिकाना
न जाने हमें कहां है जाना।
छूट जाए कब साथ किसका
यह राज जीवन का कोई न जाना
जीवन का न कोई ठिकाना
न जाने हमें कहां है जाना।
डगर जीवन की किधर मुड़ जाए
वक्त का परिंदा कब कहां ले जाए
यह बात समझ में किसी के न आए।
चलते-चलते इस दुनिया से
पाक चुनरिया मैली न हो जाए
यह बात सदा दिल में बिठाएं
सोच-समझकर कदम बढ़ाएं।