जीत सकते हो तुम
जीत सकते हो तुम
जीत सकते हो तुम
अब भी एक मौका है,
क्यों ठहर गए हो तुम
किसने तुम्हें रोका है।
ये जो पलभर का भटकाव है
वो जाने नहीं देगा मंजिल तक,
संभल जाओ, जरा गौर से देखो
दरिया में एक नौका है।
जीत सकते हो तुम...
संघर्ष पथ में है तुम्हारे
कई तरह की दिक्कतें
तू लड़ खुदी से, संघर्ष भी कर
मत कर किसी से मिन्नतें
दूसरों के भरोसे तुम
नहीं खे सकोगे पतवार तुम्हारी
इस जगत में दूसरों से
मिलता केवल धोखा है।
जीत सकते हो तुम...
गर हार के जो बैठ गया
खो देगा तू हस्ती तेरी
पतवारें भी लानत देंगी
तुझे छोड़ देगी कश्ती तेरी
जीवन समंदर में तुझे फिर
कोई तार नहीं पाएगा
तेरे सपनों का नाविक भी तू
तू ही खुद की नौका है।
जीत सकते हो तुम
अब भी एक मौका है...
