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Yudhveer Tandon

Abstract

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Yudhveer Tandon

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जीने दो

जीने दो

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क्या हुआ जो बेटी हूँ मुझे भी जीने दो

हाँ पराया धन हूँ कोख में नो महीने दो

कुछ दिन ही सही ठण्डा पानी पीने दो

बचपन जीने दो बड़ा हो मत नगीने दो


जग में आने से पहले मत जान मेरी लो

जीना मेरा अधिकार है बात मान मेरी लो

मैं भी तो अंश तुम्हारा उंगली थाम मेरी लो

सृष्टि का सार हूँ मत छीन पहचान मेरी लो


पुत्र मोह में पुत्री सुख को न तुम त्याग दो

पिण्डदान की आस में पिंडीरूप न गवाँ दो

जीवन मुक्ति की चाह में जान से न मार दो

बेटे के लिए बेटी को जीते जी न गाड़ दो


मैं भी उड़ सकती हूँ गगन में विश्वास रखो

मैं भी खिल सकती हूँ चमन में आस रखो

मैं भी मर सकती हूँ वतन पे तुम याद रखो

मैं भी खिल सकती हूँ बस अपने पास रखो।


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