जीने दे ए जिंदगी-3
जीने दे ए जिंदगी-3
दर पर तेरे आकर, रुसवा हो जाऊँ..
बेमुरव्वत ऐसी, तू बात ना कर...!!
आज भी दिल में तेरे, बसते हैं हम..
अजनबियों से तू, हालात ना कर....!!
रहने दे अभी, भ्रम ये मोहब्बत का..
गैर होने का तू, ख़्यालात ना कर...!!
होगी सहर, कभी तो ख्वाहिशों की..
अंधेरों से ऐसे, तू मुलाकात ना कर....!!
राहे उल्फत मे, तोहमतें हज़ार होगीं..
पर रुसवा तू कभी, जज्बात ना कर....!!
दिल, तू जिए जा, ग़मों को पिए जा
..
तू शिकवे कर, पर सवालात ना कर....!!
आएगी सुबह, इठलाती हुई शान से..
अश्कों की नयनो से, बरसात ना कर...!!
कैद ना कर, उड़ने दे ख्वाबों को ज़रा..
बख़्श दे सपनों को, हवालात ना कर...!!
माना पतझड़ सा है, दिल का उपवन..
मुस्करा, पर ग़मों की बरसात ना कर...!!
गुलजार है सांसे तेरी ही हसीं यादो से..
इस दौलत को तू, अंधेरी रात ना कर...!!
बड़ी मुश्किल से मिली है तू, ए जिंदगी..
जी ले इसे, सांसो को तू, खैरात ना कर..!!
परवाह नहीं करता जहां, टूटे दिलो की..
मुस्करा, नाकामियों की तू बात ना कर..।