झूठी बधाईयाँ
झूठी बधाईयाँ
आज तुझे सारी दुनिया दे रही है
बनावटी झूठी बधाईयाँ
पर मैं तुझे बधाईयाँ नहीं दे सकता
क्योंकि तू आज तक बधाई पाने वाले
उस मुकाम तक पहुँचा ही नहीं
फिर कैसे मैं दूँ
तुझको झूठी बधाईयाँ !
तू रोज-रोज ठगा जाता है
और एक रोज नहीं
जब से तेरा अस्तित्व है दुनिया में तब से
तेरे नाम पर बड़े-बड़े संगठन बनाकर
तुझे ढाल बनाकर लडाईयाँ लड़ी गईं
लेकिन तू मरता रहा, पिसता रहा,
भूखा - नंगा जीता रहा
परन्तु तेरी बात करने वाला
कुबेर पति बनता रहा
जिस दिन तू
बड़ी-बड़ी मशीनों को फूंक देगा,
अपने सिर-पीठ का बोझा उतार फैंकेगा,
फावड़ा, कुदाली छोड़कर मुट्ठी बांधेगा
गिड़गिड़ाना भूलकर
हाथ जोड़ने के वजाय
अपने हाथों से पूँजीपतियों
सहित नेताओं का चेहरा नोचेगा
फिर तुझे भी इंसानों की
गिनती में गिना जाने लगेगा
और उसी दिन मजदूर
दिवस की दी गईं बधाइयाँ
सार्थक हो जायेंगी।
