जब युद्ध होता है
जब युद्ध होता है
जब जब युद्ध होता है
सबसे पहले मानवता मरती है ।
बारूद के ढेरों पर
आसुरी प्रवृत्ति ठठाकर हँसती है।
जब युद्ध होता है।
छोटे-बड़े वृद्ध, बालक, स्त्री-पुरुष
सब अदृश्य से हो जाते है।
बस अग्नि के अंगारे काले धुँए में
मिल दृश्य भीषण बनाते हैं।
जब युद्ध होता है
मौत भी काल से गले मिलकर
तांडव करने लग जाती है।
दर्दनाक चीखों का देख के मंजर
दानवता जश्न सा मनाती है।
जब युद्ध होता है।
कहीं माँ की ममता रक्तरंजित सी
ज़मीन पर लोटती है
कहीं पिता के धैर्य की परीक्षा
खून के आँसू रोती है।
जब युद्ध होता है।
पर्वत ज्वालामुखी सा पिघल कर
काली नदी बह जाती है
कुदरत भी अपने पर अत्याचार से
थम के सिहर जाती है।
जब युद्ध होता है।
प्यार का आशियाना सब स्तब्ध अवाक
यूँ ही ढह सा जाता है।
धड़कता बेमानी दिल धमाकों के शोर में
खामोश ठहर जाता है।
जब युद्ध होता है ।
इस विभीषिका में कोई
रूस या यूक्रेन बलि का बकरा बनता है
बस दो मुल्क ही नहीं
दुनिया के विनाश का आगाज़ होता है
जब युद्ध होता है ।