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Richa Upadhyay

Others

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Richa Upadhyay

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होली

होली

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बहे फागुनी बयार ,आई रंगों की बहार।

देख रंगों की फुहार, पवन गा रही मल्हार।


होली खेलें रघुवीर, सिया हो गईं अधीर,

अवध के नर नार, ले के आए पिचकार।


लखन चरणों में झुके, लिए हाथ में अबीर,

सरयु तट पर खेले, होली सारा परिवार ।


होली खेलें चितचोर, फूल खिलें चहुँ ओर,

मुट्ठियों में रंग ले के, धरती अम्बर विभोर। 


टोलियों में नन्दलाल, घूमें हर इक द्वार,

कहाँ छुप गईं हैं राधा, नहीं बोले कोई नार।


श्याम हो गए निराश, जा के बैठे जमुना पार,

पार करके अमराई राधा लाईं रंग हजार।


कोयल कूक कर बोली, मत करो तकरार,

फाग गाते हुए बोली, ये है प्यार का त्योहार।


  



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