जब भी मिलना
जब भी मिलना
जब भी मिलना हँसकर मिलना
ऐसे ही चुप तुम कभी ना रहना
बातें ना हो लफ़्ज़ों से फिर भी
आँखों से ही सही बातें करना
दूरी कभी ना तुम दिल में लाना
बस प्रेम के अफसाने बतलाना
कुछ चीजें बस छूटती गयी
और जिंदगी ही रुठ गयी
अफसाने तो बहुत आये मगर
ये जिंदगी पीछे ही रहती गयी
मंजिले तो पास थी मगर
फिर भी दूर होती गयी
जब भी मिलना हँसकर मिलना
ऐसे ही चुप तुम कभी ना रहना।