जा ही रहे हो, तो सुनो
जा ही रहे हो, तो सुनो
जा ही रहे हो, तो सुनो
मेरा एक काम करते जाना,
कुछ सामान रखा है यहां,
अपने साथ लेते जाना।
सिरहाने रखा तकिया हटाना,
ख़्वाबों के कुछ टुकड़े होंगे,
सहेज कर रखे थे, लेते जाना।
चटक गुलाबी रंग, आईने में रखा होगा
जो तुम्हारे नज़र डालने भर से उभरता था मेरे गालों पर।
अलमारी खोल वो नयी वाली शाल भी ले जाना,
जो समेटे है, तुम्हारे आगोश की गर्मियां
और वहीं एक छोटी सी डब्बी में देखना
रखी थी मैंने मुठ्ठी भर खुशियां।
और हां, साथ ले जाना वो बारिश की बूंदे और
अपने हिस्से का आसमान,
नहीं तो बार बार आ कर मुझे झुलसाती रहेंगी
और नाउम्मीदयाँ जगाती रहेंगी।
जब जाओ तो वो सारी नफरतें और गलतफमियां
कहीं दूर दफना देना,
जो अगली बार मिलें तो नज़र ना चुराना
दोस्त समझना, एक बार मुस्कुरा देना।।