Rakhi Vashisht

Inspirational

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Rakhi Vashisht

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स्त्री

स्त्री

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स्त्री 

करुणा की मूरत, ममता की देवी

आँखों में आँसूं लिए, बनी सीता या सती

यही परिभाषा तो सुनी है हमने 

दादी, नानी से मैंने और सबने 

पर दस्तूर है समय के साथ चलने का

और कुछ परिभाषाओं के बदलने का!

स्त्री

ज्ञान का स्त्रोत , साहस से ओत प्रोत 

सक्षम और स्वतंत्र, स्वावलम्बी और समर्थ

महत्वाकांक्षी भी, सरल भी, चंचल और अविरल भी

पिता का मोह भी और पति का सम्बल भी

पुत्र की गुरु भी और घर की धुरी भी

रसोई की मलिका भी और दफ्तर की मालिक भी

घर की लाज भी और सबका नाज़ भी

आओ नए उदाहरण लाएं

हर घर में कल्पना और हिमा दास उगाएं 

एक दूजे के पंखो को हवा दें और

एक खूबसुरत सा आसमां बनाएं!



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