करूणा बिन करुणामय दया बिन दयामय! करूणा बिन करुणामय दया बिन दयामय!
जीवन बन गया शुष्क मृगतृष्णा ना मिला एक बूंद जल,, जीवन बन गया शुष्क मृगतृष्णा ना मिला एक बूंद जल,,
सागर की लहरों में मां है दुनियां के कण कण में मां है ! सागर की लहरों में मां है दुनियां के कण कण में मां है !
भिक्षु हूँ मुनिबुद्ध का मेरा धर्म ही मेरा कर्म है! भिक्षु हूँ मुनिबुद्ध का मेरा धर्म ही मेरा कर्म है!
सब के उर में भर देते प्रीत, प्रार्थना से ही लगता सुंदर संगीत। सब के उर में भर देते प्रीत, प्रार्थना से ही लगता सुंदर संगीत।
मैं स्वतंत्र नारी हूँ मगर रिशतों में बंधना भी मैं चाहती हूँ। मैं स्वतंत्र नारी हूँ मगर रिशतों में बंधना भी मैं चाहती हूँ।