मां
मां
1 min
342
सागर में मोती है जैसे
वृक्ष छुपा है बीज में जैसे
प्यार छुपा है दिल में जैसे
मां ने करुणा छुपी है ऐसे ।
ह्रदय में है बस मां की सूरत
आंखो में बस मां की मूरत
मां को ही मै समझूं ईश्वर
मां ही है बस मेरी शोहरत।
जब भी इस दुनियां में आऊं
मैं तो इस मां को ही पाऊं
चाहूं बस मां को ही चाहूं
अपना जीवन सफल बनाऊं।
सागर की लहरों में मां है
दुनियां के कण कण में मां है
फूलों के गुलशन में मां है
शायर के लफ़्ज़ों में मां है ।
प्यार छुपा है दिल में जैसे
मां में करुणा छुपी है ऐसे
मां में करुणा छुपी है ऐसे ।
