STORYMIRROR

Vivek Singh

Others

4  

Vivek Singh

Others

मां

मां

1 min
342

सागर में मोती है जैसे

वृक्ष छुपा है बीज में जैसे

प्यार छुपा है दिल में जैसे

मां ने करुणा छुपी है ऐसे ।


ह्रदय में है बस मां की सूरत

आंखो में बस मां की मूरत

मां को ही मै समझूं ईश्वर

मां ही है बस मेरी शोहरत।


जब भी इस दुनियां में आऊं

मैं तो इस मां को ही पाऊं

चाहूं बस मां को ही चाहूं

अपना जीवन सफल बनाऊं।


सागर की लहरों में मां है

दुनियां के कण कण में मां है

फूलों के गुलशन में मां है

शायर के लफ़्ज़ों में मां है ।


प्यार छुपा है दिल में जैसे

मां में करुणा छुपी है ऐसे

मां में करुणा छुपी है ऐसे ।



Rate this content
Log in