मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ
मैं स्वतंत्र नारी हूँ
मगर रिशतों में बंधना भी मैं चाहती हूँ।
मैं मन की अपने करती हूँ
मगर मन में सबको रखती हूँ।
मैं ऊंचा उठना चाहती हूँ
मगर नीचा तुम्हें नहीं दिखा सकती हूँ।
मैं अपने मन की बात करती हूँ
मगर सबको सुना भी करती हूँ।
मैं अन्याय के खिलाफ आवाज उठाती हूँ
मगर मैं डरा भी करती हूँ।
मैं करुणा का सागर हूँ
मगर मैं आग का दरिया भी हूँ।
मैं लहराती हवा हूँ
मगर मैं तेज आंधी भी हूँ।
मैं प्यार की मूरत हूँ
मगर मैं नफरत की दीवार भी हूँ।
मैं वो हूँ जो दिखती हूँ
मगर मैं वो भी हूँ जो दिखती नहीं।
मैं नारी हूँ मैं सब कुछ हूँ
बिन मेरे कुछ भी नहीं।
