यह कविता उपजी है नौकरशाह सोच के प्रति घृणा से, भ्रष्ट सरकारी तंत्र के प्रति क्रोध से, धर्म के आडम्बर... यह कविता उपजी है नौकरशाह सोच के प्रति घृणा से, भ्रष्ट सरकारी तंत्र के प्रति क्रो...
भिक्षु हूँ मुनिबुद्ध का मेरा धर्म ही मेरा कर्म है! भिक्षु हूँ मुनिबुद्ध का मेरा धर्म ही मेरा कर्म है!