इश्क
इश्क
इश्क रंगीन होती है,
शामें हसीन होती है।
जहां तेरे नाम की नदी बहे,
वह मेरे दिल की ज़मीन होती है।
शायद इश्क अनोखा ख़्वाब होती है,
जो रातों में यू चली आती है
और मद्धम मद्धम कानों में छुपके ,
और आशिक का नाम कह जाती है।
तेरी याद ख्वाबों में बहती नदी होती है,
उसमें बहता पानी तेरी प्यारी अदा होती है;
मैं किनारे बैठा बहते पानी को छूना चाहता हूं,
पर छूता नहीं क्योंकि तेरी अहमियत
मुझसे ज्यादा होती है।
वो गुनगुनी धूप होती है,
जब मुझ में तेरी कमी होती है।
रंगीन शाम तो कभी होती ही नहीं ,
क्योंकि मुझ में तो सिर्फ तेरी एहसास होती है।
कशमकश ज़ुबान तो कुछ कहती ही नहीं,
सिर्फ आँखों से बयां होती है।
दूर जा सकता नहीं तुझ से,
क्योंकि तुझ से मेरी जहां होती है।

