इश्क...…...…...हम
इश्क...…...…...हम
सच तो इश्क़ और फिज़ा है।
हम एक दूसरे को पहचानते हैं।
गर ग़म भी आए साथ तेरे हम हैं।
दिल की धड़कन ए एहसास तू है।
इस शरीर ए मकान को हम जानते हैं।
सांसों के वजूद को बुलबुलें मानते हैं।
ए इंसान बस जमीं को न पहचानते हैं।
याद ए कुदरत के इतिहास हम जानते हैं।
तेरी उम्मीद और सपने मन में रहते हैं।
चेहरा शारीरिक संबंध आकर्षण का पल मानते हैं।
दिल ए चाहत और मोहब्बत जानते हैं।
तुझे दिल में बसाया सोच हम जीवन से नाते रखतें हैं।
सच मौत जिस्म की बस "नीरज" कहते हैं।
हम साथ निभाए और हकीकत को पहचानते हैं।
जिस्म मन भावों के साथ धन दौलत की शान हैं।
मानवता और इंसानियत ही हमारी पहचान है।