दहेज...... आधुनिक
दहेज...... आधुनिक
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दहेज आज आधुनिक हो गया है
न मांग न कोई अपना व्यवहार है।
बस दहेज़ अब हमारी खुद की सोच है
बेटा बेटी ही अपने जरुरत के साथ है।
हां दहेज में अब धन मोह माया खूब है
न सोच न समझ केवल स्वार्थ रहता है।
आज दहेज हमारे खुद की जिंदगी है
हां आज न हम माता पिता की सोच है।
बस हम युवाओं की दहेज जरुरत है
सच तो हम स्वयं ही हमारी सोच है।
दहेज आज एक फैशन बन चुका है
आज हमारे स्वयं की दहेज जरुरत है।
परिवार के साथ न अब हमारी सोच है
अब हमारी आधुनिक समय की बात है
सच तो अब दहेज ही एक स्वार्थ बना है।
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