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Bhavyaa Gohil

Romance

4  

Bhavyaa Gohil

Romance

इश्क ही तो है

इश्क ही तो है

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उस चाँद से खूबसूरत क्या है ?

वो आंखें जिनमे हमरे लिए प्यार दीखता है


बंदगी तो सारा जहान कर्ता है ऊपरवाले की

और इक हम हैं जो अनके साये से भी इबादत करते हैं।


उस तमन्नाह को पूरा होते महसूस किया है

इक दिल है जिस्की धड़कन से हमरी साँस चलती है।


एक चेहरा है जिस्की मुस्कान से हम पे नूर आता है,

एक ही डोर से बंधी है रूह दोनों की।


आँसू हमारे और उनके दिल में दर्द उठता है

सिर्फ कागज़ की नज़्म में ही नहीं,

ज़िन्दा है आज भी मोहब्बत जितनी पहले हुआ करती थी।


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