इस दुनिया से
इस दुनिया से
इस दुनिया से ये दिल घबरा गया है
बस्ती में अजनबी कोई आ गया है।
मन की हालत न रही पहले जैसी अब
ग़म और खुशी दोनों में रोना आ गया है।
हसरत ही रही पाने की बहुत अरसे से
रास्ता तो मालूम हैं पर मंजिल खो गया है।
निकले थे बहुत जोश में तुझे पाने को
नए नाविक से साहिल का पता खो गया है।
पल पल बदल रहे इतने इंसान यहां पे
इन मुखोटे को देख दिमाग चकरा गया है।
