इंतज़ार
इंतज़ार
दिल का वो कोना जब भी खोलते हैं
हमे तेरी वो सारी बातें याद आती हैं।
तुम तो कब के हमे छोड़कर चले गऐ
हम तो आज भी उन्हीं लम्हो मे जी रहे है।
तेरा चहेरा आज भी साफ उभरता हे,
आँखो की फलक पर ऐसे जेसे रोशनी
तेरी आवाज गुंजती कानो मे ऐसे
धडकने मेरे सीने मे धडक रही जैसे।
उम्मीद का दामन आज भी थामे हैं ,
हम जिंदा ही तेरे इन्तजार मे ही हैं
न तरसाओ अब हमे इतना भी कि ,
ये धडकने ही साथ छोड दे हमारा
ओर चले जाऐ हम इस इन्तजार मे ही।
दिल का वो कोना आज तेरे लिऐ महफूज है,
जहाँ से तुम गऐ थे हम आज भी वहीं हैं
बाकी आलम है दिल का यही अब तो
दिल का वो कोना जब भी खोलते हैं
हममे तू ही तू बस तू नजर आता है।

