"इंसानियत"
"इंसानियत"
इंसान से इंसानियत,
खत्म होती जा रही है।
दोस्ती, रिश्तेदारी केवल,
रस्म होती जा रही है।
धर्म के नाम पर केवल छलावा,
सच्चे सनातन धर्म की, बली दी जा रही है।
जो छली है, दंभी है,
बातूनी है, बाहुबली है,
सत्ता पे आज काविज है।
महंगाई भ्रष्टाचार इस तरह फैला,
जनता बेचारी मरी जा रही है।