इंसानियत को मरते देखा हैं ।
इंसानियत को मरते देखा हैं ।
मैंने यहां किसानों को फांसी लगाए देखा है
बूढ़े और असहाय बाप को अपने कन्धों से
जवान बेटे के अर्थी को सहारा देते देखा है।
और उसकी मां को अपनी आंसू छुपा कर
अपनी बहू की आंसू पोछते देखा है।
हां जनाब मैंने यहां के इन्सानों के रूह से
इंसानियत को मरते देखा है।।
मैंने यहां अमीरों को खाना फेखते देखा है
और उसी खाने को गरीबों को उठा कर खाते देखा है।
फिर भी अमीर चैन की नींद सो नहीं पाते
और मैंने गरीबों को फुटपाथ पे चैन की नींद सोते देखा है।
हां जनाब मैंने यहां के इन्सानों के रूह से
इंसानियत को मरते देखा है।।
मैंने यहां जवानों को सरहदों पे मरते देखा है
और नेताओ को उनकी शव का व्यापार करते देखा है
ये मीडिया भी कम नहीं है साहब
मैंने इन्हें भी कितनों के लाशों पे रोटियां सेकते देखा है।
और मानवाधिकारों वालो की बात तो करें ही नहीं
इन्हें तो मैंने आतंकवादियों को भी राष्ट्रभक्त बनाते देखा है।
हां जनाब मैंने यहां के इन्सानों के रूह से
इंसानियत को मरते देखा है।।
मैंने यहां लोगों को धर्म के नाम पे लड़ाते देखा है
और इन्हीं मुद्दों से नेताओं को अपना कुर्सी बचाते देखा है।
और ये अपना विकसित भारत है साहब
जहां मैंने पढ़े लिखे को बेरोजगार
और अनपढ़ो को देश चलाते देखा है।
हां जनाब मैंने यहां के इन्सानों के रूह से
इंसानियत को मरते देखा है।।
मैंने यहां कितनों के आबरुओ को बाजारों में सरेआम लूटते देखा है
साधु - संतों को भी इश्क़ का बुखार चढ़ते देखा है
लोगों को मजबूरियों में यहां देह का व्यापार करते देखा है।
और आजकल की नवजवानों की बात तो करे ही नहीं
उन्हें तो नशे में धुत आंखों से बलात्कार करते देखा है।
हां जनाब मैंने यहां के इन्सानों के रूह से
इंसानियत को मरते देखा है।
मैंने यहां मुर्दों को जिंदा देखा है
सरकारी दफ्तरों में शिकायतों का फ़ाइल सड़ते देखा है
और बात यही तक नहीं रुकती साहब
चंद पैसे खाकर मैंने यहां के अफ़सरो को
सबूतों से छेड़छाड़ करते देखा है।
यहां गरीबों को बेवजह सजा
और अमीरों को गुनाह करके देश से फरार देखा है।
हां जनाब मैंने यहां के इन्सानों के रूह से
इंसानियत को मरते देखा है।।