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deepak bundela_arymoulik

Tragedy

3  

deepak bundela_arymoulik

Tragedy

इम्तिहान ए ज़िन्दगी

इम्तिहान ए ज़िन्दगी

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ये इम्तिहान है कैसा जो पूरा भी नहीं हो रहा है

उत्तर की चाह में कई ज़िन्दगीयों को डुबो रहा है


रोज चांद से सूरज और सूरज से चांद हो रहा है

दिलों-ए-दिल इश्क़ की चाह में इंतिहा हो रहा है


चाहत-ए-नजर "ए" किस नज़रिये का हो रहा है

खुशियों की महफ़िलों में भी रंज ए कहर हो रहा है।


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