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KAVY KUSUM SAHITYA

Abstract

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KAVY KUSUM SAHITYA

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ईश्वर

ईश्वर

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ईश्वर--ईश्वर स्वर है,ईश्वर अक्षर शब्द है। ईश्वर मन है ईश्वर कर्म है ।।   

ईश्वर मर्म है ,ईश्वर सोच है ।  ईश्वर विचार है ईश्वर सत्य है ।।

ईश्वर अर्थ है ईश्वर बुद्धि है ।  ईश्वर विवेक है ।।          

ईश्वर पावन है ,ईश्वर पवित्र है  मन मनभावन है ,ईश्वर बोथ है।।

ईश्वर भाव है :भावार्थ है ।   

ईश्वर आत्मा है ,ईश्वर परमात्मा है।।                 


ईश्वर कर्तव्य है ,ईश्वर दायित्व बोध है ।                

ईश्वर अव्यक्त है अभिव्यक्त है।।

ईश्वर प्रत्यक्ष है, ईश्वर नर है ।  ईश्वर नारायण है ।।        

ईश्वर जन्म जीवन समय काल का प्रभा प्रवाह है ।          

ईश्वर मूल्य है ,मूल्यवान है ।   बीन मोल है , अनमोल है ।।   

ईश्वर प्रकृति है ,ब्रह्म ब्रह्मांड है। सृष्टि नियंता ,आदि ,मध्य ,अंत अनंत है ।।              

ईश्वर छमा ,करुणा, दया,प्रेम है। सार्थक सत्य है ।।         

ईश्वर स्नेह है ,परिपूर्ण है ।    ईश्वर अवनि अम्बर है ।।      


नवग्रह ,नक्षत्र है , ऋतु मौसम गति चाल है ।            

ईश्वर काल कराल है ,ईश्वर करुणा निधान है ।।             

ईश्वर विधि है ,विधान है।     ईश्वर वैज्ञानिक, विज्ञानं है ।।

आस्था, विश्वास ,साँस ,धड़कन, प्राण है ।               

ईश्वर गरिमा ,गौरव ,महिमा ,महान है ।।    

ईश्वर ज्ञान है, बैराग है ,सन्यास है।

ईश्वर योग है ईश्वर योगी ,योगेश्वसर है ।।                  


ईश्वर शाश्वत है ,ईश्वर सत्कार हैं।

सगुण साकार है ,निर्गुण निराकार है ।।                  

ईश्वर नर है ,इंद्र है ,नरेंद्र है ।  

ईश्वर अव्यक्त है ,कण कण में है।।

अविनासी, अजन्मा ,यत्र ,तंत्र सर्वत्र है।                

ईश्वर स्तिति प्राज्ञ है ,मर्मज्ञ है, सर्वज्ञ है।।

ईश्वर मंदिर, मस्जिद ,चर्च ,गुरुद्वारा दर दिवार है । 

 दरिद्र नारायण का परिवार है।।


 ईश्वर सुख है ,दुःख है ,तो भूमि श्मसान है ।             

शिवा ,महाकल ,काल है।

ईश्वर कृष्णा कि बांसुरी का आकर्षण गोपियों का प्रेम सार है।।                  

ईश्वर कुरुक्षेत्र का निष्काम कर्म का देता ज्ञान है।          

ईश्वर सृष्टी कि दृष्टि ,मार्ग दर्शक उद्धारक पालन हार है।।       

पिता की आज्ञा में वन वन भटकता मर्यादा का महत्व श्री राम है ।।               


ईश्वर सृष्टि का मत्सवतार है ।

समुन्द्र मंथन का कक्षप देव दानव कि रचनात्मक युग का सत्यार्थ है।।                  

ईश्वर पृथ्वी पर्यावरण का संरक्षक वाराह है ।              

दानवी सत्ता के सार्थक सम्मान का वामन भगवन है ।।   

अन्याय से लड़ता मर्म पसुराम है।

ईश्वर हिंसा से लड़ता महावीर ,बुद्ध वर्तमान का शाश्वत अवतार है ।।            

ईश्वर कारागार में लेता जन्म नंगे पांव जंगलों में भटकता श्री कृष्ण श्री राम है ।             


ईश्वर मानव ,मानवता, कि रक्षा पर सलीब पर चढ़ता यीशु ईश्वर का साक्षात्कार है।।         ईश्वर इस्लाम में समर्पण त्याग बलिदान है ।               

हठ बरवर्ता ,क्रूरता का प्रतिकार है।।                  

ईश्वर जीव है ,आत्मा है, जीवात्मा है ,परमात्मा है ।महात्मा है अंतर मन कि शक्ति श्रोत नरोत्तम, पुरुषोत्तम ,सर्वोत्तम, मनोरम, संकल्प की सिद्धि का साधना साध्य है।।             

सम्मान है ,अभिमान है ,आराध्य, आराधना है ।            

जन्म् जीवन कि विधि ,विवेचना प्रेरक, प्रेरणा तपश्या के अनुसन्धान का पराक्रम पुरुषार्थ का साथ है।।             

प्रभु ,ईश्वर ,भगवान् ,जीजस, अल्लाह ,नाम है।     

ईश्वर गुरु है ,गोरक्ष है ,नानक कि वाणी का प्रवाह प्रसंग है उत्साह उमंग का मर्मज्ञ है।।


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