होली के मुक्तक
होली के मुक्तक
सबला नारी वहाँ तुम्हारी यही कहानी
हाथों में स्कूटी और घर में नौकरानी
******
प्रदूषण पटाखों से नहीं दीवाली के पटाखों से होता है
और सरकार आप की न हो तो पराली से भी होता है
******
मेरे शहर की महंगाई का आलम तो देखिये जनाब
5 रुपये का केला महँगा और 5 रुपये का गुटखा सस्ता लगता है
******
मत्स्य जलम रानी,
जलम तस्य प्राणम,
हस्त स्पर्शम भयभीतम,
निष्कासितम देह त्यागम।