ये हम कहाँ जा रहे हैं
ये हम कहाँ जा रहे हैं
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लोगों पे खाने को नहीं, कुत्ते पेडिग्री खा रहे हैं।
ये पानी को तरसते हैं, वो शैम्पेन बहा रहे हैं।
इन पे साइकिल भी नहीं, वो महँगी गाड़ियां बच्चों को दिला रहे हैं।
अमीर इण्डिया वाले गरीब भारत का मजाक उड़ा रहे हैं।
दुनिया आगे बढ़ रही है और हम गड्ढ़े में जा रहे हैं।
